Thursday, July 25, 2024
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AI:अगले पांच साल में खत्म हो जाएंगी 8.3 करोड़ नौकरियां ?

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट्स कहती हैं कि दुनिया में हर चौथे वर्कर को अपना काम बदलना होगा। जो इस बदलाव को स्वीकार करेगा, वही जॉब्स मार्केट में टिका रहेगा।

AI एआई से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी उत्पन्न हो सकती है और यह एक बड़ी सामाजिक चुनौती बनकर सामने आ सकती है।- इलॉन मस्क, सीईओ स्पेसएक्स

AI बीते कुछ अरसे से इलॉन मस्क सहित कई विशेषज्ञ लगातार चेते आ रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और ऑटोमेशन से नौकरियों पर भारी खतरा पैदा हो सकता है। ओपनएआई, जिसने चर्चित चैटजीपोटी का विकास किया है, के सीईओ सैम आल्टमैन भी यह कहते हुए कि एआई बेहतर गुणवत्ता वाले जॉब्स निर्मित करने में मददगार होगी, यह जोड़ना नहीं भूलते हैं कि ये सकता है, इसकी वजह से अनेक नौकरियां खोनी भी पड़े। बेशक, इससे कई क्षेत्रों जैसे हेक्केवर आदि में प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, लेकिन कई क्षेत्रों में नौकरियां जाने का खतरा भी पैदा हो गया है। सबसे ज्यादा खतरा स्वयं टेक क्षेत्र के लोगों के सामने आ रहा है। बीते कुछ माल में कई टेक कंपनियों में हजारों लोगों की नौकरियों एआई की वजह से गई हैं। प्लेसमेंट फर्म चैलेंजर, से एंड क्रिसमस के अनुसार इसी साल मई माह में अकेले ट्रेक क्षेत्र में अमेरिका में 80 हजार नौकरियां खत्म हुई हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह बाजार की स्थिति, कंपनियों की रिस्ट्रक्चरिंग के साथ-साथ कंपनियों के कामों में एआई को शामिल करना भी है।

अभी विकसित देशों पर ज्यादा खतरा!

शुरुआती वर्षों में एआई का सबसे ज्यादा असर अमेरिका जैसे विकसित देशों के जॉन्स मार्केट पर पड़ेगा। प्राइसवॉटसंहाउस की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक एआई के फलस्वरूप अमेरिका में 38 फीसदी जॉब्स खतरे में आ जाएंगे। लेकिन जल्दी ही भारत जैसे विकासशील देशों के जॉब मार्केट पर भी इसका असर होना शुरू हो जाएगा। फिर जब अमेरिका में नौकरियां कम होगी, तो प्रवासियों के लिए भी वहां रोजगार के मौके कम हो जाएंगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम कहता है कि इसके असर से बचने के लिए कर्मचारियों को समय के साथ खुद को अपडेट रखना जरूरी होगा। फोरम के मुताबिक आज भारत में प्रत्येक 10 में से केवल 3 कर्मचारियों को ही पर्याप्त प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध हैं। 2027 तक भारत को आज की तुलना में कम से कम दोगुने प्रशिक्षित कर्मचारियों की दरकार होगी।

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एआई की वजह से बहुत सारी नौकरियां हमेशा के लिए खत्म नहीं होने जा रहीं। लेकिन नौकरियों की प्रकृति जरूर बड़े पैमाने पर बदल जाएगी।

– यान लीक्यून, चीफ एआई साइंटिस्ट, मेटा

क्या कहती हैं कंपनियां? ARTIFICIAL INTELLIGENCE जॉब्स सेक्टर में क्या बदलेगा?

जैसा कि कई विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं, जॉब्स मार्केट में बड़ी तेजी से और दीर्घकालीन बदलाव होंगे। कई रिपोर्ट्स व अध्ययनों में इन बदलावों का अंदाजा लगाया गया है:

पांच साल में खत्म हो जाएंगी 8.3 करोड़ नौकरियां

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2023 के अनुसार 2027 तक दुनियाभर में 6.9 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे लेकिन इसी अवधि में 8.3 करोड़ पारंपरिक नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इनमें 2.6 करोड़ नौकरियां कैशियर्स, टिकट क्लक्स, डेटा एंट्री और अकाउंटिंग से जुड़ी होगी। ये नौकरिया एआई की वजह से ऑटोमेशन में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप खत्म होगी। सालाना आधार पर देखें तो हर साल 10.2% नए जॉब्स पैदा होगे व 12.3% जॉन्स कम होंगे।

कार्यस्थलों पर 50 फीसदी कार्य हो सकता है स्वचालित 23% लोगों को बदलना पड़ेगा अपना मौजूदा काम

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले पांच साल के दौरान दुनियाभर में करीब एक चौथाई यानी 23 फीसदी जॉन्स की प्रकृति बदल जाएगी। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की हालिया रिपोर्ट भी इसका समर्थन करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक एल्गोरिदा का विकास जरूरी होगा। 37 करोड़ लोगों को अपने मौजूदा काम को बदलना पड़ 0 एआई बिजनेस स्ट्रेटेजिस्ट संस्थानों सकता है जो इस बदलाव को स्वीकार करेगा, वही जॉब्स मार्केट में टिका रहेगा।

व्हाइट कॉलर जॉब्स पर होगा सबसे ज्यादा संकट

गोल्डमैन सेब की इसी मार्च माह में आई रिपोर्ट के अनुसार अगले दो साल में दुनियाभर की कुल नौकरियों के 18 फीसदी हिस्से एआई की वजह से स्वचालित हो सकते हैं। वहीं केजी की रिपोर्ट कहती है कि मौजूदा कार्य गतिविधियों में से 50 फीसदी ऐसी हैं, जिनके अगले 5 साल में ऑटोमेटेड होने की गुंजाइश है। यानी आधी नौकरियां स्वचालित हो सकती हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक भी 2027 तक कार्यस्थलों पर 50 फीसदी काम का ऑटोमेशन हो जाएगा।

क्रिस्टा के एक सर्वे के अनुसार एआई की वजह से ज्यादातर खतरा व्हाइट कॉलर जॉन्स पर ही होगा, जहां तकनीक या दिमाग का इस्तेमाल अधिक होता है, जैसे आईटी, टेक, वित्त, प्रशासन और विधि क्षेत्र ब्लू कॉलर नौकरियां यानी जिनमें फिजिकल मेहनत शामिल होती हैं, उन पर इसका खतरा अपेक्षाकृत कम होगा। लेकिन जिन क्षेत्रों में लगातार एकजैसा काम होता है, जैसे मोबाइल फोन की असेंबलिंग लाइन तैयार करना, वहां एआई संचालित रोबोट्स ऐसे काम छीन लेंगे।

और कुछ पॉजिटिव संकेत भी…

पैदा होंगे कई तरह के नए जॉब्स, अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी 75% कंपनियों ने कहा है कि वे आने वाले वक्त में एआई को स्वीकार करेगी। 50% कंपनियों का मानना है कि एआई से नौकरी के अवसरों में बढ़ोतरी होगी। 25% कंपनियों को आशंका है कि इससे नौकरियों के अवसरों में कमी होगी।

ब्रूकलिन इंस्टीट्यूशन के अनुसार एआई की वजह से अनेक नई नौकरियां पैदा हो सकती है:

• मशीन लर्निंग इंजीनियर मशीनें भले ही एआई से चलेगी, पर मशीनों को एआई के अनुकूल बनाने के लिए मशीन लर्निंग इंजीनियर्स की मांग काफी बढ़ जाएगी।

• एआई रिसर्च साइंटिस्ट एआई को और भी बेहतर बनाने के लिए सतत कार्य चलते रहेंगे। लिहाजा एआई रिसर्च साइंटिस्ट व एआई इंजीनियरिंग में जॉन्स के नए मौके बनेंगे।

● एआई सॉफ्टवेयर डेवलपर: ऐसे सॉफ्टवेयर्स का मार्केट बढ़ेगा, जिसमें एआई टेक्नोलॉजी शामिल हो इनके विकास के लिए एआई सॉफ्टवेयर डेवलपर्स कीजरूरत बढ़ेगी।

o रोबोटिक्स इंजीनियर खासकर हेल्थकेयर, ओल्ड एज केयर के फील्ड में रोबोट्स का उपयोग बढ़ेगा तो रोबोटिक्स इंजीनियरों की बड़े पैमाने पर दरकार होगी।

● कंप्यूटर विजन इंजीनियर ऐसी मशीनें जो ‘देखकर’ विजुअल वर्ल्ड का अनुमान लगा सके, के लिए कंप्यूटर विजन को ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी, जो बिजनेस प्रोसेस में एआई को शामिल कर विजेनस स्ट्रेटजी डेवलप कर सकें।

इकोनॉमी में 4.4 ट्रिलियन तक का हो सकता है इजाफा

मैकेंजी की रिपोर्ट बताती है कि जेनरेटिव एआई (वह तकनीक जिसमें मशीनें स्वचालित ढंग से कॉन्टेंट क्रिएट करती है) वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदलकर रख देगी। इस रिपोर्ट के अनुसार जैनरेटिव एआई के कारण उत्पादकता में कई गुना की बढ़ोतरी हो जाएगी। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 ट्रिलियन डॉलर्स का इजाफा हो जाएगा।

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