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नीलकंठ महादेव मंदिर

नीलकंठ महादेव मंदिर जालोर का स्थान:

यह मंदिर जालौर, पाली और बाड़मेर जिलों की सीमा पर उप-तहसील भाद्राजुन, जिला जालौर, राजस्थान के ग्राम नीलकंठ में स्थित है।

नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर का इतिहास:

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि एक विधवा महिला ने यहां एक शिवलिंग देखा और वह नियमित रूप से उसकी पूजा करने लगी। उसके परिवार वालों ने उसे दफ़नाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह रेत के साथ-साथ बार-बार धरती से बाहर निकल आया और इस तरह विशाल टीला बन गया। मूर्ति को चमत्कारी समझकर यहां मंदिर बनाया गया।

ऐसा कहा जाता है कि सुल्तान अला-उद-दीन खिलजी की सेना ने जालोर पर हमला किया और शिव लिंगम को नष्ट करने की कोशिश की। लेकिन काली मधुमक्खियों ने उन पर हमला कर दिया और सैनिक भाग खड़े हुए। तब सुल्तान ने भगवान शिव से दया की प्रार्थना की और उस स्थान पर एक भव्य मंदिर बनाने का वादा किया। उनकी प्रार्थना सुनी गई और उन्होंने मंदिर का निर्माण करके अपना वादा निभाया।

नीलकंठ महादेव मंदिर जालोर की वास्तुकला:

यह एक ऊंचे टीले पर बना पश्चिममुखी मस्जिद-संरचित मंदिर है। शिवलिंग की आधी मूर्ति काले रंग की है और दूसरी आधी पीले रंग की है जिससे पता चलता है कि इसे टुकड़ों में तोड़ने की कोशिश की गई थी। मंदिर में देवी-देवताओं की कई टूटी हुई मूर्तियाँ और स्तंभ और पत्थर के शिलालेख हैं जो यह दर्शाते हैं कि इसकी कई बार मरम्मत की गई थी। 1796 ई. के एक पत्थर के शिलालेख में जोधा रतन सिंह के बारे में उल्लेख है।

नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर जिले की भाद्राजून तहसील में स्थित है। जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। गांव में प्रवेश करते समय आप इस मंदिर को देख सकते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपनी उंची संरचना से यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद प्रभावित करता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक विधवा महिला ने एक शिवलिंग देखा था और इसके बाद वो नियमित रूप से इस शिवलिंग की पूजा करने लगी थी।

महिला के मजबूत विश्वास के परिवार के लोगों के इस शिवलिंग को कई बार दफ़नाने की कोशिश की, लेकिन यह शिवलिंग बाहर निकल जाता। इस तरह वहां पर रेत का एक विशाल टीला उभर आया। शिवलिंग के इस चमत्कार को देखकर मंदिर की स्थापना की गई थी। यह मंदिर बहुत पुराना है और इस मंदिर में बारिश के मौसम और शिवरात्रि के दौरान भक्तों की काफी भीड़ आती है। अगर आप जालौर की यात्रा शिवरात्रि के समय कर रहें हैं तो मंदिर में दर्शन के जरुर जाएं।

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