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कैलाश धाम बिशनगढ़

ये है राजस्थान का ‘कैलाश धाम’, 1KM दूर से ही दिखने लगती है ये भव्य मूर्ति

ये है राजस्थान का कैलाश धाम। जालोर से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर। सावन का पहला सोमवार और भगवान शिव का अभिषेक करतीं बारिश की बूंदें। मानो, इंद्रदेव अपने आराध्य का अभिषेक करने आए हों। बारिश में शिव प्रतिमा का स्वरूप और भी निखर आया। यहां का नजारा देखते ही बनता है। माहौल ऐसा कि ‘सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर हैं।’

72 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा एक किलोमीटर दूर से ही नजर आने लगती है।
72 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा एक किलोमीटर दूर से ही नजर आने लगती है।

बिशनगढ़ गांव में बने इस शिव धाम में भक्तों का तांता लगा रहता था। हर सोमवार को तो भक्तगण रहते हैं ही। सावन मास और शिवरात्रित में यहां विशेष पूजा अर्चना होती है। धाम में लगी 72 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा एक किलोमीटर दूर से ही नजर आने लगती है। महादेव की मूर्ति के नीचे एक गुफा बनी हुई है, जिसके अंदर 12 ज्योर्तिलिंग स्थापित किए गए हैं। ताकि यहां आने वाले भक्तों को एक ही स्थान पर सभी ज्योर्तिलिंग के दर्शन मिल सके।

महादेव की मूर्ति के नीचे एक गुफा बनी हुई है, जिसके अंदर 12 ज्योर्तिलिंग स्थापित किए गए हैं।
बिशनगढ़ गांव में बने शिव धाम भक्तों का तांता लगा रहता था। सावन महीने और शिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
बिशनगढ़ में 35 बीघा में फैला कैलाश धाम मंदिर परिसर
  • 72 फीट ऊंची है प्रतिमा आकर्षण का केंद्र, 35 बीघा में फैला कैलाश धाम मंदिर परिसर, देशभर से आते हैं श्रद्धालु

बिशनगढ गांव में मुख्य नाकोड़ा रोड पर स्थित विशालकाय शिव प्रतिमा एवं 35 बीघा में फैला हुआ मंदिर परिसर कैलाशधाम जालोर की विशेष पहचान बन गया हैं। यह धाम अब लोगों के लिए दर्शनीय स्थल बना हुआ है। जिले की अनमोल धरोहर के रुप में पहचान रखने वाले बिशनगढ के महादेव राज्य सहित देशभर में कैलाश धाम के नाम से प्रसिद्ध है।

यहां जिले व संभाग सहित प्रदेश व देशभर के लोग वर्षभर आते है। वही श्रावण मास में तो यहां भक्तों की भीड़ हर समय रहती हैं। वही कैलाश धाम के आसपास में छोटे-छोटे कई दर्जनों गांव होने से हर समय यहां लोगों का आवागमन बना रहता है।
72 फीट ऊंची शिव प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र

बिशनगढ़ के कैलाश धाम परिसर में लगी 72 फीट उंची शिव प्रतिमा।

बिशनगढ की शिव प्रतिमा देशभर में प्रसिद्ध हैं। तभी ऊंची प्रतिमाओं में जालोर जिले के कैलाशधाम का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं। यहां वर्षभर भक्तों का आना लगा ही रहता है। यह धाम 35 बीघा भूभाग में चारो ओर हरितिमा वातावरण के बीच स्थित है जहां चारो ओर का रमणिय वातावरण हैं।

यह सब  केवल एक ही व्यक्ति का प्रयास है जो अपनी मां की इच्छा के अनुरुप एक भक्त ने अपने इष्ट भगवान शिव को समर्पित किया। इसी सुन्दर मनमोहक वातावरण के बीच 72 फीट की प्रतिमा पारदेश्वर महादेव के रुप में बिराजमान है जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

भंवरानी के उद्यमी ने बिशनगढ़ गांव में करवाया मंदिर का निर्माण

जालोर जिले के बिशगढ़ के विशालकाय महादेव का निर्माण कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के शिवोहम टेंपल की महादेव मूर्ति की तर्ज पर हुआ। कैलाश धाम का निर्माण जिले के भंवरानी निवासी भंवरलाल खींवसरा द्वारा उनकी मां की इच्छा व स्मृति में श्रीमती अणसीदेवी प्रतापचंद खिवखरा ट्रस्ट द्वारा निर्माण किया गया।

इस मंदिर का निर्माण कर्नाटक के शिवमोगा के आर्किटेक्ट श्रीधर द्वारा किया गया। जिसने बेंगलुरु के  महादेव प्रतिमा शिवोम का निर्माण किया था। वही मूर्ति भी उसी की तर्ज पर बनाई है लेकिन बेंगलुरु की मूर्ति की ऊंचाई 65.5 फीट एवं जालोर के कैलाश धाम की ऊंचाई 72 फीट है। वही बेंगलुरु की मूर्ति क्रिम कलर में निर्मित की हुई है, जबकी कैलाश धाम की मूर्ति नीले रंग एवं विभिन्न रंगों के साथ सुसज्जित है।

मां का सपना था, बेटे ने मंदिर बना साकार किया 
जालोर जिले के भंवरानी के रहने वाले उद्यमी भंवरलाल खींवसरा ने इस कैलाश धाम का निर्माण जून 2010 में करवाया है, जिनका कर्नाटक के बेंगलुरु में व्यवसाय है। भंवरलाल बताते है कि हमारे परिवार की सदैव शिव मे आस्था रही हैं। इसी के ओतप्रोत होकर बचपन से ही उनकी भक्ति में रम गया। वही मेरी मां की अटूट भक्ति में भी सदा उनके साथ रहा।

उनकी मां का सपना शिव मंदिर बनाने का था जो साकार किया। वे बताते है कि एक बार मां के साथ बेंगलूरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित शिवोहम टेंपल में पूजा के लिये गया। जहां उनके द्वारा मां से शिवजी की महिमा के बारे में पूंछने पर मां ने कहा कि यह भगवान है जो पूरी दुनियां को सब कुछ देने वाले है। इस दौरान उन्होने उनकी मां की इच्छा के मुताबिक शिवोहम टेंपल जैसे मंदिर की इच्छा जताई, जो पूरी हो गई।

कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर का इतिहास

बिशनगढ़ के कैलाश धाम में स्थापित भगवान शिव जी की प्रतिमा देशभर में प्रसिद्ध हैं। कैलाश धाम का निर्माण जालोर जिले के भंवरानी गांव के निवासी भंवरलाल खींवेसरा द्वारा उनकी मां की इच्छा व स्मृति में श्रीमती अणसीदेवी प्रतापचंद खींवेसरा ट्रस्ट द्वारा निर्माण किया गया है। जालोर जिले के भंवरानी के रहने वाले भंवरलाल खींवेसरा का कर्नाटक के बेंगलुरु में अपना व्यवसाय है। कहते है कि खींवेसरा परिवार की सदैव शिव भक्ति मे आस्था रही हैं। भंवरलाल जी की माताजी श्रीमती अणसीदेवी की शिव जी की भक्ति में अटूट विश्वास रहा है। भंवरलाल खींवेसरा का कहना है कि एक बार वो अपनी माताजी के साथ बेंगलूरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित शिवोहम टेंपल में पूजा के लिये गये। (Shivoham Temple Bengaluru Karnataka) इस दौरान उन्होने उनकी मां की इच्छा के मुताबिक शिवोहम टेंपल जैसे मंदिर की इच्छा जताई। अपनी माताजी की इच्छा के अनुसार भंवरलाल जी खींवेसरा ने शिवोहम टेंपल की तरह ही बिशनगढ़ जालौर मे कैलाश धाम का निर्माण कराया और अपनी माताजी श्रीमती अणसीदेवी प्रतापचंद जी खींवेसरा का सपना साकार किया।

कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर का निमार्ण कब हुआ था

जालोर जिले मे भवरानी गांव के निवासी श्री भंवरलाल जी खींवेसरा ने जून 2010 में कैलाश धाम का निर्माण कराया है। कैलाश धाम बिशनगढ़ में भगवान शिव जी की 72 फीट ऊंची विशालकाय प्रतिमा कर्नाटक में बेंगलूरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित शिवोहम टेंपल की तरह है। कैलाश धाम में स्थापित भगवान शिव जी की प्रतिमा का निर्माण कर्नाटक के शिवमोगा के आर्किटेक्ट श्रीधर द्वारा किया गया है। और बेंगलुरु के शिवोहम टेंपल की प्रतिमा का निर्माण भी श्रीधर द्वारा किया गया है। कैलाश धाम में बनाई गयी मूर्ति शिवोहम मन्दिर की मूर्ति के तरह ही बनाई गयी है।लेकिन बेंगलुरु की मूर्ति की ऊंचाई 65.5 फीट एवं जालोर के कैलाश धाम में मूर्ति की ऊंचाई 72 फीट है। वही शिवोहम मन्दिर बेंगलुरु की मूर्ति क्रिम कलर में निर्मित की हुई है जबकी कैलाश धाम की मूर्ति नीले रंग एवं विभिन्न रंगों के से सजाया गया है।

कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर मंदिर परिसर

भगवान शिव जी का यह कैलाश धाम मंदिर परिसर 35 बीघा में फैला हुआ है। मंदिर परिसर में खुबसूरत पेड़ पौधे और हरियाली है जो कैलाश धाम की सुंदरता चार चांद लगाते हैं। बिशनगढ गांव में स्थित कैलाशधाम जालोर जिले की विशेष पहचान बन गया हैं। यहां पर देशभर से श्रद्धालु भगवान महादेव के दर्शन करने आते हैं। कैलाश धाम मे श्रावण मास में तो यहां भक्तों की भीड़ हर समय रहती हैं। बिशनगढ गांव के आसपास और भी कई छोटे-बड़े गांव लगते हैं इस लिए यहां पर हर समय लोगों का आवागमन रहता है।

कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर कैसे पहुंचे

अगर आप कैलाश धाम बिशनगढ़ की यात्रा का प्लान बना रहे है तो सबसे पहले आपको राजस्थान के जालौर शहर पहुंचना होता है। जालौर शहर भारत के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां पर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर के मुख्य शहर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जालौर पहुंचने के बाद आप कैलाश धाम बिशनगढ़ के लिए बस टैक्सी या फिर बाइक से आसानी से पहुंच सकते हैं।

जब हम कार या मोटरसाइकिल या फिर कोई भी वाहन से कैलाश धाम में दर्शन करने जाते हैं तो हमे लगभग 5 किलोमिटर दूर से ही भगवान शिव जी की विशाल प्रतिमा के दर्शन होते हैं। जब हम कैलाश धाम पहुसते है तब सामने हैं। जब हम आगे की ओर बढ़ते तो सामने ही देवो के देव महादेव भगवान शिव जी की 72 फीट ऊंची विशालकाय मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं। और शिव जी की प्रतिमा के सामने नंदी विराजमान हैं और मूर्ति के सामने ही एक छोटा सा सरोवर बनाया गया है इस सरोवर में कछुए रहते हैं और लोग इस सरोवर में सिक्के डालते हैं। शिव जी की मूर्ति के पास में ही श्री गणेश भगवान और अंबे माता की प्रतिमा भी स्थापित है। और पास हीं भगवान शिव जी का मंदिर है इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है भक्त यहां पर नतमस्तक होकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं। शिव जी की मूर्ति के पीछे की दिशा में कैलाश पर्वत बना है इसी कैलाश पर्वत में एक गुफा बनाई गई है इस गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग के साक्षात दर्शन होते हैं।

12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन

कहते हैं भगवान शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद इंसान का जीवन सफल हो जाता है। इसलिए अपने धर्म में आस्था रखने वाले इंसान एक बार 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना जरूर चाहता है। आप भी भगवान शिव जी की 12 ज्योतिर्लिंगों के एक साथ दर्शन करना चाहते हैं तो आपको कैलाश धाम बिशनगढ़ जालौर जरूर आना चाहिए यहां पर भगवान शिव जी की विशाल प्रतिमा के पिछे की दिशा में विशाल कैलाश पर्वत बना है इसी कैलाश पर्वत में एक गुफा बनाई गई है इस गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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