वर्ष पहले सांचौर में गिरा उल्कापिंड विलक्षण श्रेणी का था, आयरन के साथ था कई धातुओं का समावेश

सांचौर शहर के पास गिरा था यह उल्कापिंड, प्रशासन ने इसको कोलकाता भेजा

जोधपुर/सांचौर.

जालोर जिले के सांचौर शहर से मात्र 3 किमी दूरी पर गिरा पिछले साल जून महीने में उल्कापिंड विलक्षण श्रेणी का  था। यह आयरन मिडियोराइट श्रेणी का माना जाता है। इसमें आयरन के अलावा कई महत्वपूर्ण धातुओं का समावेश मिला है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद्र माथुर के अनुसार इस तरह का था उल्कापिंड जानें…

ऐसा था सांचौर में गिरा उल्कापिंड 

जनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चन्द्र माथुर ने बताया  यह उल्कापिंड 2.800 किलोग्राम वजनी था। दस सेंटीमीटर लंबा और चौड़ा यह उल्कापिंड करीब साढ़े आठ सेंटीमीटर ऊंचा था। इसके गिरने से करीब तीन फीट का गड्ढा बन गया था। लोगों में कौतुहल व भय को देखते हुए जिला प्रशासन ने इसे जयपुर स्थित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पास भेज दिया था। जयपुर से इसे जांच के लिए कोलकाता स्थित जीएसआई के म्यूजियम में भेज दिया गया। माथुर ने बताया कि सांचौर में मिले उल्कापिंड में 85 फीसदी आयरन था। साथ ही इसमें कुछ बहुमूल्य धातुएं जैसे प्लेटिनम, निकल, जर्मेनियम, एंटीमनी, कोबाल्ट व नियोनियम भी पाई गई। विभिन्न धातुओं की इतनी मात्रा से विलक्षण श्रेणी में रखती है। इस तरह के उल्कापिंडों के माध्यम से हमें अपने ब्रह्माण के दूसरे ग्रहों के बारे में जानकारी मिलती है। साथ ही कई बार इनमें बेहद दुर्लभ धातुएं भी मिल जाती है। इस कारण से ये उल्कापिंड बहुत महत्वपूर्ण हो जाते है।