Thursday, November 21, 2024
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समान नागरिक संहिता के समर्थन में AAP: कहा- सबकी सहमति से बने कानून; विधि आयोग के अध्यक्ष बोले- लोगों की राय मांगी गई

 

समान नागरिक संहिता के समर्थन में AAP :समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चल रहे विवाद के बीच मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी का समर्थन मिला है। आप के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है।

संदीप पाठक ने कहा कि अनुच्छेद 44 भी कहता है कि यूसीसी होना चाहिए, लेकिन आम आदमी पार्टी का मानना ​​है कि इस मुद्दे पर सभी धर्मों और राजनीतिक ताकतों से बातचीत होनी चाहिए. इस विषय को इस प्रकार पुनर्वचन करें: “इसे लागू करने का निर्णय सभी की सहमति के बाद होना चाहिए

हालांकि, आम आदमी पार्टी नेता संदीप पाठक ने यूसीसी को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. यह भाजपा की कार्यशैली है कि जब चुनाव आता है तो जटिल से जटिल मुद्दे लेकर आते हैं।

पाठक ने आगे कहा, ‘यूसीसी लागू करने और इस मुद्दे को निपटाने से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है. बीजेपी सिर्फ भ्रम की स्थिति पैदा करती है, ताकि देश में बंटवारा किया जा सके और चुनाव लड़ा जा सके, क्योंकि अगर प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 9 साल में काम किया होता तो काम का सहारा ले सकते थे, प्रधानमंत्री ऐसा नहीं करते काम की मदद है, इसलिए वह यूसीसी की मदद लेंगे।’

उधर, विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा- यूसीसी कोई नया मुद्दा नहीं है। ये मामला 2016 में सामने आया था, 2018 में एक कंसल्टेशन पेपर भी जारी किया गया था. विधि आयोग ने यूसीसी पर एक परामर्श प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए आयोग ने आम जनता से भी राय मांगी है. समान नागरिक संहिता अधिसूचना जारी करने के बाद से आयोग को 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं।

जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने राजद्रोह कानून पर भी बात की. उन्होंने कहा- देश की एकता और अखंडता के लिए देशद्रोह कानून जरूरी है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए को बरकरार रखने की भी सिफारिश की।

समान नागरिक संहिता पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुलाई आपात बैठक

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने 27 जून की रात यूसीसी में आपात बैठक बुलाई। 3 घंटे तक चली बैठक में बोर्ड ने प्रस्तावित यूसीसी कानून का विरोध करने का फैसला किया.वर्चुअल बैठक के दौरान एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, एआईएमपीएलबी के वकील सहित अन्य उपस्थित थे।

मौलाना खालिद रशीद ने कहा- हमने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें शरीयत कानून का जिक्र है. इसे जल्द ही विधि आयोग को भेजा जाएगा।

हम विधि आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखेंगे।’ हर बार चुनाव से पहले नेता यूसीसी का मुद्दा उठाते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से ऐसा ही किया जा रहा है.

भोपाल में पीएम मोदी ने उठाया यूसीसी का मुद्दा

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून 2023 को भोपाल में बीजेपी बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. फोटो साभार: पीटीआई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने संबोधन के दौरान यूसीसी को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों को समझना होगा कि कौन सी राजनीतिक ताकतें ऐसा कर रही हैं. यदि किसी सदन में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा, तो क्या सदन चलेगा? क्या देश ऐसी दोहरी व्यवस्था से चलेगा?

मुस्लिम देशों में बैन पर बात करते हुए

पीएम मोदी ने आगे कहा कि वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बहनों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं. तीन तलाक से सिर्फ बहनों को नुकसान होता है। पूरा परिवार तबाह हो गया है. अगर इस्लाम में तीन तलाक जरूरी है तो कतर, जॉर्डन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों में इस पर प्रतिबंध क्यों है? मिस्र ने आज से 90 साल पहले इसे ख़त्म कर दिया था.

इस्लामिक देशों में भी लागू यूसीसी

मुस्लिम देशों में पारंपरिक शरिया कानून है, जो धार्मिक शिक्षाओं, प्रथाओं और परंपराओं से लिया गया है। हालाँकि, आधुनिक समय में यूरोपीय मॉडल के अनुसार इस प्रकार के कानून पर कुछ शोध किए गए हैं। पारंपरिक शरिया कानून पर आधारित नागरिक कानून आम तौर पर दुनिया के इस्लामी देशों में लागू होता है। इन देशों में सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि शामिल हैं। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए समान कानून है। किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए कोई अलग कानून नहीं है।

इसके अलावा, इज़राइल, जापान, फ्रांस और रूस में समान नागरिक संहिता या कुछ मामलों में समान नागरिक या आपराधिक कानून हैं। यूरोपीय देशों और अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है।

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