– चुनावी हलचल : सांचौर विधानसभा में भाजपा से दानाराम व जीवाराम दोनों जता रहे दावेदारी
सांचौर. सांचौर विधानसभा क्षेत्र से विधायकी का सपना देख रहे भाजपा नेता दानाराम चौधरी का 2023 में भी पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा हैं। दो बार सांचैर के विधायक रह चुके जीवाराम चौधरी इस बार भी इनकी राह रोकते नजर आ रहे हैं। क्योंकि लंबे समय से देखा जा रहा हैं सांचैर विधानसभा क्षेत्र में जीवाराम चौधरी सक्रियता दिखाने के साथ-साथ 2023 में चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं। कुछ समय पहले जीवाराम ने इस बात की सार्वजनिक मंच पर घोषणा करते हुए दानाराम चौधरी को 2023 के चुनाव में साथ देने की अपील भी कर दी। ऐसे में इस बात का कयास लगाया जा रहा हैं की 2023 के चुनाव में जीवाराम चैधरी भाजपा से टिकट अगर लाने में असफल भी रह गए तो एक बार फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए यहां से भाजपा व दानाराम चैधरी के लिए राह मुश्किल कर सकते हैं।
जीवाराम का वर्चस्व : दो बार निर्दलीय लड़कर भाजपा की जीत रोक चुके हैं जीवाराम
सांचौर विधानसभा क्षेत्र में जीवाराम जननेता माने जाते हैं। इन्होंने दो बार सांचौर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा हैं। भाजपा ने 2008 के दौरान जीवाराम चौधरी की टिकट काटकर मिलापचंद जैन को देने पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल कर ली। उसके बाद वापिस 2018 के चुनाव में भाजपा ने टिकट काटा तो निर्दलीय मैदान में उतरते हुए 49693 वोट हासिल कर दानाराम चौधरी का विजय रथ रोक दिया। अगर 2018 में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं होता तो परिणाम कुछ अलग ही प्राप्त होते।
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चार बार चुनाव लड़ चुके हैं जीवाराम, दानाराम एक बार
जीवाराम चौधरी सांचौर से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार 2003 में हीरालाल विश्नोई को 44595 वोटों से चुनाव हराते हुए पहली बार विधायक बने। रिकाॅर्ड जीत के बाद 2008 में भाजपा ने जीवाराम चौधरी का टिकट काटकर मिलापचंद कानूनगों को दे दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ते सुखराम विश्नोई को 3614 वोटों से हराकर दूसरी बार विधायक बने। 2013 में भाजपा ने फिर से टिकट जीवाराम चौधरी को दिया लेकिन सुखराम विश्नोई के सामने जीवाराम चौधरी 24055 वोटों से पहली बार हार गए। 2018 में फिर से भाजपा ने जीवाराम चौधरी का टिकट काटते हुए कलबी समाज के ही दानाराम चैधरी को दिया, लेकिन जीवाराम चौधरी निर्दलीय चुनावी ताल ठोकते हुए भाजपा के 49 हजार वोट खिंचने के कारण दानाराम जीत से चुक गए।
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आज भी जीवाराम चौधरी दानाराम से आगे
हालांकि पिछले चुनाव के बाद से दानाराम चौधरी भी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं, परंतू चुनाव हारने के बाद जीवाराम चौधरी भी कार्यकर्ताओं के साथ अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। साथ ही सामाजिक कार्यक्रम, धरना प्रदर्शन समेत सभी कार्यक्रमों में भाग लेते हुए जनता से जुड़ा रहना दानाराम के लिए खतरे का संकेत भी हैं। इधर, जीवाराम भी दानाराम को खुलेआम चुनौती दे चुके हैं एक बार तो विधायक बनने का सपना हैं। उसके बाद मैं खुद दानाराम के साथ रहकर उनको चुनाव जीताने में मदद करूंगा। लेकिन अब विधानसभा के चुनावों में एक साल शेष हैं.
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