Thursday, December 12, 2024
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सुंधामाता

सिर सुंधे धर कोरटे, पग सुंदरला पाल।

    आचामुण्डा इसरी, गले फुलाँ री माल।। 

इसका अर्थ है माँ का सिर सुंधा पर, धड़ कोरटे तथा पग सुंदरला में पूजे जाते हैं।

जालोर जिले के जसवंतपुरा उपखंड क्षेत्र के सुंधा पर्वत पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से भी कम महत्व नहीं है। त्रिपुर राक्षस का वध करने के लिए आदि देव की तपोभूमि यहीं मानी जाती है। इसके अलावा चामुंडा माता की मूर्ति के पास एक शिवलिंग स्थापित है और वैदिक कर्मकांड को मानने वाले श्रीमाली ब्राह्मण समाज के उपमन्यु गौत्र के यह कुलदेवता हैं तथा यही नागिनी माता स्थित है, जो इनकी कुलदेवी हैं। यह स्थान अनेक ऋषिमुनियों की तपोभूमि रही हैं तथा यही पर भारद्वाज ऋषि का आश्रम भी बताया जाता है। वर्ष 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध के बाद मेवाड़ शासक इतिहास पुरुष महाराणा प्रताप ने अपने कष्ट के दिनों में सुंधा माता की शरण ली थी। 13वीं सदी के शुरुआती सालों में ही भीनमाल गुजरात के सोलंकियों से जालौर के चौहान शासक उदयसिंह ने छीन लिया जालौर के चौहान शासकों का सुंधा माता के प्रति विशेष आदर भाव रहा है।

इसी श्रद्धा के कारण उदयसिंह के पुत्र चाचिगदेव ने इस मंदिर का निर्माण संवत 1312 में करवाया तथा 1319 में अक्षय तृतीया के दिन विधि विधान से माँ चामुंडा की प्रतिष्ठा करवाई गई। तेरहवीं सदी में ही अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर आक्रमण कर चौहान शाखा का अंत किया और यह क्षेत्र मुगलों, बिहारी पठानों एवं गुजरात के सुल्तानों के अधीन रहा। मारवाड़ रियासत का अंग बनने के बाद जोधपुर राजपरिवार ने श्रद्धा भाव से इस तीर्थ को सुंधा की ढाणी, मंगलवा एवं चितरोड़ी गाँव भेंट किए।

प्रभाव श्रद्धालु 

सुंधा माता के देश के कई राज्यों में भक्तगण हैं। जिसमें राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश से प्रतिवर्ष लाखों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। साल में दो बार नवरात्रों के समय यहां नौ दिन मेले का आयोजन होता हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट जाती है। हर माह के शुक्ल पक्ष की तेरस से पूर्णिमा तक मंदिर में अधिक दर्शानार्थी आते हैं। वहीं जालोर जिले का प्रथम रोपवे भी सुंधा माता पर स्थित हैं।

सुंधा माता मंदिर के दर्शन और इसके पर्यटन स्थल की जानकारी – Sundha Mata Temple Information In Hindi

Sundha Mata Temple In Hindi, सुंधा माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले में स्थित सुंधा नाम की एक पहाड़ी पर स्थित चामुंडा देवी को समर्पित एक 900 साल पुराना मंदिर है। आपको बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है। यहां पर साल भर झरने बहते हैं। जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है।

आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर तीन ऐतिहासिक शिलालेख हैं जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं। यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है। दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है। अगर आप जालौर जिले में स्थित सुंधा माता मंदिर के इतिहास या जाने के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ें, यहां हम आपको सुंधा माता मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।

सुंधा माता मंदिर का इतिहास – Sundha Mata History In Hindi

प्राचीन दिनों में इस मंदिर में पूजा नाथ योगी द्वारा की जाती थी। सिरोही जिले के सम्राट ने “सोनाणी”, “डेडोल” और “सुंधा की ढाणी” गाँवों में से एक नाथ योगी रबा नाथ जी को दी थी, जो उस समय सुंधा माता मंदिर में पूजा करते थे। नाथ योगी में से एक अजय नाथ जी में मृत्यु के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए इसलिए राम नाथ जी (मेंगलवा के अयस) को जिम्मेदारी लेने के लिए वहां पर भेजा गया था। मेंगलवा और चितरोडी गाँवों की भूमि, नाथ योगी को जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वारा दी गई थी। इसलिए मेंगलवा के नाथ योगी को “अयस” कहा जाता था।

आपको बता दें कि राम नाथ जी की मृत्यु के बाद उनके शिष्य बद्री नाथ जी सुंधा माता मंदिर में अयस बने और पूजा की जिम्मेदारी ली। इसके अलावा उन्होंने “सोनानी”, “डेडोल”, “मेंगलवा” और “चितरोडी” की भूमि की भी देखभाल की। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वहां पर सभी प्रबंध करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए मंदिर की देखभाल और पर्यटन का प्रबंधन करने के लिए एक ट्रस्ट (सुंधा माता ट्रस्ट) बनाया गया।

 सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन – Sundha Mata Temple Jalore Fairs In Hindi

नवरात्रि के समय यहां पर मेले के आयोजन किया जाता है जिस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं। बता दें कि इस समय गुजरात द्वारा पालनपुर, डीसा और अन्य जगहों से नियमित बसें चलाई जाती हैं।

 सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय – Sundha Mata Temple Timings In Hindi

सुंधा मंदिर खुलने का समय हर दिन सुबह 8 बजे है और बंद होने का समय शाम 6 बजे है।

 सुंधा माता मंदिर उड़न खटोले की जानकारी – Sundha Mata Mandir Ropeway In Hindi

सुंधा माता मंदिर के दर्शन करने के लिए आप पैदल भी जा सकते है नही तो आप रोपवे की सर्विस भी ले सकते है । यह रोपवे 800 मीटर लम्बा है और खरीब 6 मिनट में आप को पहाड़ी पर बने मंदिर तक ले जायेगा, एक समय में एक ट्राली में 4 ही लोग जा सकते है। उड़न खटोले के टिकेट की कीमत 50रु है जिस में आने और जाने की सुविधा उपलब्द करायी जाती है ।

सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Sundha Mata Temple In Hindi

जो भी पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने की योजना बना रहें हैं। उनके लिए बता दें कि इस मंदिर के लिए यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए अनुकूल समय है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने की वजह से राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना सही नहीं है क्योंकि ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में ही आप इस मंदिर की यात्रा करें।

सुंधा माता मंदिर कैसे जाये – How To Reach Sundha Mata Temple In Hindi

सुंधा मंदिर के लिए कोई भी भारत के प्रमुख शहरों से परिवहन के विभिन्न साधनों से यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोधपुर में हैं। यह हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख महानगरों अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक पर्यटक जोधपुर, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई जैसे शहरों से आसानी से इस पर्यटन शहर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक जालौर रेलवे स्टेशन के लिए जोधपुर डिवीजन नेटवर्क, मुंबई और गुजरात से ट्रेन ले सकते हैं।

रेल द्वारा सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Sundha Mata Temple By Train In Hindi

सुंधा माता मंदिर की यात्रा ट्रेन द्वारा करने वाले पर्यटकों के लिए बता दें कि जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है। समदड़ी-भिलडी शाखा लाइन जालौर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालौर के प्रतिदिन कई ट्रेन उपलब्ध हैं।

 सुंधा माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें – How To Reach Sundha Mata Temple By Road In Hindi

अगर आप सड़क मार्ग सुंधा माता मंदिर जाना चाहते हैं तो बता दें कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है। यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं। जालौर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है

 कैसे पहुंचें सुंधा माता मंदिर हवाई मार्ग द्वारा – How To Reach Sundha Mata Temple By Air In Hindi

सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा (JDH), जोधपुर है। यह हवाई अड्डा शहर से 137 किलोमीटर दूर है और इसके अलवा उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा लगभग 142 किमी दूर है।

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